भाजपा विधायक संजय पाठक पर मोहन सरकार ने कसा शिकंजा* *खनन घोटाले में सरकार वसूलेगी 443 करोड़, कई स्तर पर जांच जारी*

Aug 13, 2025 - 12:50
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भाजपा विधायक संजय पाठक पर मोहन सरकार ने कसा शिकंजा*  *खनन घोटाले में सरकार वसूलेगी 443 करोड़, कई स्तर पर जांच जारी*

संजय पाठक की बढ़ी मुश्किलें....*

*भाजपा विधायक संजय पाठक पर मोहन सरकार ने कसा शिकंजा*

*खनन घोटाले में सरकार वसूलेगी 443 करोड़, कई स्तर पर जांच जारी*

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी माने जाने वाले भाजपा नेता और विजयराघवगढ़ के विधायक संजय पाठक की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सत्ता संभालते ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी सरकार नियमों को तोड़ने और संसाधनों का दुरुपयोग करने वाले नेताओं व अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, चाहे वह किसी भी दल या पद के हों। अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने मध्यप्रदेश के बड़े खनन माफियाओं में शामिल संजय पाठक से जुड़ी तीन कंपनियों पर 443 करोड़ रुपये की वसूली की तैयारी कर ली है।

*तीन कंपनियों पर गंभीर आरोप*

जबलपुर जिले के सिहोरा क्षेत्र में संचालित आनंद माइनिंग, निर्मला मिनरल्स और पैसिफिक एक्सपोर्ट- ये तीनों कंपनियां संजय पाठक से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ी बताई जाती हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने निर्धारित परमिशन से कई गुना अधिक खनन किया। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, इन कंपनियों ने खनन की अनुमति सीमा का उल्लंघन करते हुए सैकड़ों करोड़ रुपये के खनिज का अवैध उत्खनन किया। खनिज विभाग की रिपोर्ट और स्वतंत्र ऑडिट में यह भी सामने आया कि खनन के दौरान न तो पर्यावरणीय मानकों का पालन किया गया और न ही निर्धारित रॉयल्टी समय पर जमा की गई। इससे सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। इसी आधार पर 443 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस तैयार किया गया है।

*ईओडब्ल्यू में दर्ज शिकायत और जांच*

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में इस मामले की शिकायत आशुतोष मिश्रा ने दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि इन कंपनियों ने मिलीभगत से खनन परमिट की शर्तों को तोड़ा, सरकारी जमीन का अतिक्रमण किया और राजस्व का बड़ा हिस्सा छुपाया। शिकायत मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की, जिसमें कई दस्तावेज और गवाहों के बयान सामने आए हैं। जांच में यह भी पता चला कि इन कंपनियों को विभिन्न समय पर सरकारी अफसरों ने बिना उचित कारण के अतिरिक्त खनन की अनुमति दी, जिससे यह संदेह और गहरा हो गया कि पूरे प्रकरण में राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार की भूमिका रही है।

*मंत्री रहते हुए दिया कई घोटालों को अंजाम*

संजय पाठक का नाम पहले भी खनन विवादों में आ चुका है, पर आरोप है कि मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर अरबों रुपये का घोटाला किया। आरोप है कि उन्होंने मंत्रालय में रहते हुए संबंधित विभागों में अपने लोगों की नियुक्ति कराई, ताकि खनन और परिवहन से जुड़े सभी नियम उनके पक्ष में बदले जा सकें। सूत्र बताते हैं कि मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने न केवल अवैध खनन को बढ़ावा दिया बल्कि अवैध रूप से निकाले गए खनिज को विभिन्न निजी चैनलों के माध्यम से बाहर भी भेजा। इन सभी गतिविधियों के चलते प्रदेश को बड़े राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा।

*विधानसभा में गरमाया मामला*

विधानसभा के चालू सत्र में विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। विपक्षी दलों के विधायकों ने सवाल किया कि आखिर सरकार इस बड़े घोटाले में शामिल नेताओं पर कार्रवाई कब करेगी। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट जवाब दिया कि “किसी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह सत्ता पक्ष का विधायक ही क्यों न हो।” उन्होंने बताया कि जांच कई स्तरों पर चल रही है और दोषी पाए जाने पर सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी के मामलों में सख्त कार्रवाई होगी, भले ही आरोपित भाजपा से ही क्यों न हो।

*क्या होंगे जेल जाने वाले पहले भाजपा विधायक?*

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यदि जांच में आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो संजय पाठक मोहन सरकार के कार्यकाल में जेल जाने वाले पहले भाजपा विधायक बन सकते हैं। यह स्थिति भाजपा के लिए भी असहज होगी, क्योंकि पाठक कभी पार्टी के प्रमुख चेहरे और शिवराज सिंह चौहान के करीबी सहयोगियों में गिने जाते थे।

*इस पूरे मामले में राजनीतिक असर*

संजय पाठक के खिलाफ कार्रवाई का असर न केवल उनके व्यक्तिगत राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा बल्कि प्रदेश की सत्ता समीकरणों पर भी। विजयराघवगढ़ में पाठक की मजबूत पकड़ रही है और यदि वे कानूनी मुश्किलों में घिरते हैं तो भाजपा को वहां राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला मोहन यादव सरकार के लिए एक ‘लिटमस टेस्ट’ है- क्या वे वास्तव में निष्पक्ष कार्रवाई करेंगे या फिर मामला समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा।

*राजनीतिक करियर और विवादों का रिश्ता*

संजय पाठक का राजनीतिक सफर विवादों से अछूता नहीं रहा है। वे कभी कांग्रेस से जुड़े रहे, बाद में भाजपा में शामिल होकर शिवराज सिंह चौहान के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाने लगे। मंत्री पद पर रहते हुए भी उनके खिलाफ खनन से जुड़े अनियमितताओं के आरोप लगते रहे, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते उनके खिलाफ कार्रवाई की गति धीमी रही। सत्ता परिवर्तन के बाद अब उनके खिलाफ एक के बाद एक पुराने मामले खुलने लगे हैं।

*मोहन सरकार की सख्ती*

सरकार किसी भी नेता या अफसर को नियम तोड़ने की अनुमति नहीं देगी, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। उन्होंने कहा कि खनन माफियाओं पर कार्रवाई में किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव आड़े नहीं आएगा और अवैध कमाई को सरकारी खजाने में वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।

    कुल मिलाकर विधायक पाठक पर कार्रवाई केवल एक व्यक्ति विशेष का मामला नहीं, बल्कि यह संकेत है कि मोहन सरकार अवैध खनन और भ्रष्टाचार के मामलों में कितनी गंभीर है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कार्रवाई कितनी दूर तक जाती है और क्या सच में संजय पाठक प्रदेश के पहले सत्तारूढ़ भाजपा विधायक होंगे जो खनन घोटाले में जेल की हवा खाएंगे।

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Name Ankit Dwivedi Siddhi news Times editor and chief 8319772319